Tuesday, 1 January 2019

Sri Astalakshmi Stotram - Sanskrit




श्री अष्टलक्ष्मि स्तॊत्रं



सुमनस वंदित सुंदरि माधवि चंद्रसहॊदरि हॆममयॆ

मुनिगण वंदित मॊक्षप्रदायिनि मंजुल भाषिणि वॆदनुतॆ

पंकजवासिनि दॆव सुपूजित सद्गुण वर्षिणि शांतयुतॆ

जय जय हॆ मधुसूदनकामिनि आदिलक्ष्मि सदा पालयमां ॥१॥



अयिकलि कल्मष नाशिनि कामिनि वैदिक रूपिणि वॆदमयॆ

क्षीरसमुद्भव मंगळरूपिणि मंत्रनिवासिनि मंत्रनुतॆ

मंगळदायिनि अंबुजवासिनि दॆवगणाश्रित पादयुतॆ

जय जय हॆ मधुसूदनकामिनि धान्यलक्ष्मि सदा पालयमां ॥२॥



जयवर वर्णिनि वैष्णविभार्गवि मंत्रस्वरूपिणि मंत्रमयॆ

सुरगण पूजित शीघ्रफलप्रद ज्ञानविकासिनि शास्त्रनुतॆ

भवभय हारिणि पापि विमॊचिनि साधुजनाश्रित पादयुतॆ

जय जय हॆ मधुसूदनकामिनि धैर्यलक्ष्मि सदा पालयमां ॥३॥



जयजय दुर्गति नाशिनि कामिनि सर्वफलप्रद शास्त्रनुतॆ

रथ-गज-तुरग-पदाति समावृत परिजन मंडित लॊकनुतॆ

हरिहर ब्रह्म सुपूजित सॆवित ताप निवारिणि पादयुतॆ

जय जय हॆ मधुसूदनकामिनि गजलक्ष्मि सदा पालयमां ॥४॥



अयिखगवाहिनि मॊहिनि चक्रिणि राग विवर्धिनि ज्ञानमयॆ

गुणगणवारिधि लॊकहितैषिणि स्वर शब्दभूषिणि गाननुतॆ

सकल सुरासुर दॆवमुनीश्वर मानव वंदित पादयुतॆ

जय जय हॆ मधुसूदनकामिनि संतानलक्ष्मि सदा पालयमां ॥५॥



जय कमलासिनि सद्गुण दायिनि ज्ञानविकासिनि ज्ञानमयॆ

अनुदिनमर्चित कुंकुमधूसर भूषितवासित वाद्यनुतॆ

कनकधरास्तुति वैभव वंदित शंकरदॆशिक मान्यपतॆ

जय जय हॆ मधुसूदनकामिनि विजयलक्ष्मि सदा पालयमां ॥६॥



प्रणतसुरॆश्वरि भारति भार्गवि शॊक विनाशिनि रत्नमयॆ

मणिमय भूषित कर्णविभूषण शांतिसमावृत हास्यमुखॆ

नवनिधिदायिनि कलिमलहारिणि कामित फलप्रद हस्तयुतॆ

जय जय हॆ मधुसूदनकामिनि विद्यालक्ष्मि सदा पालयमां ॥७॥



धिमिधिमि दिंधिमि दिंधिमि दुंधुभिनाद संपूर्णमयॆ

घमघम घंघम घंघम घंघम शंख-निनाद-सुवाद्य नुतॆ

वॆदपुराण इतिहास सुपूजित वैदिक मार्ग प्रदर्शयतॆ

जय जय हॆ मधुसूदनकामिनि धनलक्ष्मि सदा पालयमां ॥८॥



श्री अष्टलक्ष्मि स्तॊत्रं संपूर्णं

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