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। ऋग्वॆद मूर्ति स्वरूपं ।
ऋग्वॆदः श्वेथवर्णस्स्यात् द्विभुजॊ रासभाननः ।
अक्षमालाधरः स्ॐयः प्रीतॊ व्याख्यापनॊद्यतः ॥
मयूरास्या शुभ्रवर्णा कटकद्वयभूषिता
।
हस्ताभ्यां दधती पद्मं पीतवस्त्रमनूपमम् ॥
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। यजुर्वॆद मूर्ति स्वरूपं ।
अजास्यः पीतवर्णः स्यात् यजुर्वॆदॊक्षसूत्रधृत् ।
वामेकुलिषपाणिस्तु भूतिदॊ मंगलप्रदः ।
पूर्णेंदु वदना शुभ्रा सृगया लक्षणं शृणु ।
रक्तुवर्णा विशालाक्षी पद्महस्ता
कृषॊदरी ।
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। सामवॆद मूर्ति स्वरूपं ।
नीलॊत्पलदलाभासः सामवॆदॊ हयाननः ।
अक्षमालाधरॊ दॆवॊ वामे कंभुधरः स्मृतः ।
पूर्णेंदुवदना शुभ्रा भुजद्वय विभूषिता ।
पद्मपाणिरियं दॆवी रक्तवस्त्रॆण शॊभिता ॥
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। अथर्ववॆद मूर्ति स्वरूपं ।
अथर्वणाभिदॊ वॆदः धवलॊ मर्कटाननः ।
अक्षमालाधरॊ दॆवॊ वामे कुंभधरः स्मृतः ॥
सूकरस्य़ा चकॊराक्षी चंपकाभा सितांशुका ।
भुजौक्षश्चतुर्भिः संधत्तॊ स्कृक्सृवौ कमलं घटम् ॥
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