Sunday, 16 December 2018

Sri Venkatesha Vajrakavacha stotram - Sanskrit



। शी वॆंकटॆश वज्रकवच स्तॊत्रं ।

नारायणं परं ब्तह्म सर्वकारणं
प्रपद्यॆ वॆंकटॆशाख्यं तदॆव कवचं मम
सहस्र शीर्षा पुरुषॊ वॆंकटॆशश्यिरॊवतु
प्राणॆशः प्राणनुलयॆ प्राणान् रक्षतु मॆ हरिः                                  ॥१॥

आकाशराट् सुतानाथ आत्मानं मॆ सदा अवतु
दॆवदॆवॊत्तमॊपायाद्दॆहं मॆ वेंकटॆश्वरः                       ॥२॥

सर्वत्र सर्वकार्यॆषु मंगांबाजानिरीश्वरः
पालयॆन्मां सदा कर्मसाफल्यॆनः प्रयच्छतु   ॥३॥

य ऎतद्वजकवच मभॆध्यं वॆंकटॆशितुः
सायं प्रातः पठॆन्नित्यं मृत्युं तेरति निभयः          ॥४॥

॥ हरिः ऒं ॥

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